वो मुझे हाथो की लकीरों में ढूँढती रही,
पगली एक बार दिल में झँकती, मैं ही था
किस्सा अजीब है जिंदगी का...
हाल अजनबी पूछ रहे हैं, ओर अपनो को पता ही नहीं ..
सुकून .. जो तेरे अहसासों में है .
वो नींद में कहाँ..
छाँव में रखकर पूजा करो ये मोम के बुत,
धूप में अक्सर अच्छे अच्छे नक्शे बिगड़ जाते हैं.
दुनिया से इस कदर रूबरू हुए है हम
खवाब भी आते है तो हक़ीकत की तरह...
हम जो तुम्हे नवाजते हैं, गुमा ना कर बैठना
आजकल खिताब वापिस भी हो जाते हैं..
सूरत परखने को तो आईने बहुत मिल जाते है बाजार में,
सीरत परख सके, उस नज़र का इंतजार है...
No comments:
Post a Comment